SEO में ब्लॉगिंग का महत्व



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SEO और ब्लॉगिंग को समझने के लिए पहले SEO यानी सर्च एंजिन ऑप्टिमाईजेशन और फिर ब्लॉग को समझना होगा. दरअसल इंटरनेट पर आज सारा खेल यूजर्स के द्वारा की जा रही खोज में अव्वल आने का है. तमाम सर्च एंजिन जैसे गूगल, याहू, बिंग, बेदू आदि पर यूजर्स व्यक्ति, संस्था, प्रॉडक्ट से लेकर तमाम जानकारियों की तलाश में रहते हैं. ऐसे में उनके द्वारा खोजी जाने वाली चीजों को सर्च एंजिन खोजकर अपनी लिस्ट में शो करता है. ऐसे में खोजकर दर्शाई गई लिस्ट में अव्वल आना काफी टेढ़ी खीर है क्योंकि दुनियाभर के लोगों के बीच में टॉप पर आना काफी कठिन होता है.
ऐसे में सर्च एंजिन के ऑन-ऑफ ऑप्टिमाईजेशन के साथ ही की-वर्ड रिसर्च के जरिए खुद को टॉप लिस्ट में अव्वल रखा जा सकता है. ऐसा करने में उन शब्दों और आर्टिकल्स की जरूरत होती है जो संभावित रूप से यूजर्स के द्वारा खोजे जा सकते हैं. 

ऐसे में यहां से शुरुआत होती है ब्लॉगिंग की, क्योंकि यदि आपका खुद की वेबसाईट है, या इंटरनेट पर पता ठिकाना, लेकिन यदि उसके बारे में आपने व्यवस्थित जानकारियां नहीं दीं हैं तो वह ठीक उसी तरह है जैसे ताजमहल को बोरे से ढांककर रखना. बजाए सुंदर चीज को कोने में रखने उसकी खूबसूरती को दुनिया के सामने पेश करने में इंटरनेट के संसार में ब्लॉगिंग काफी कारगर उपाय है. इसमें किसी व्यक्ति, संस्था, प्रॉडक्ट या फिर सेवा आदि के बारे में शाब्दिक, पिक्चर या फिर वीडियो आदि के द्वारा सुंदर पेशकश की जा सकती है. लेकिन ख्याल रखना होगा कि कौन से शब्द ज्यादा प्रचलन में हैं या फिर किस बारे में यूजर्स का रुझान हो सकता है.

कई बार अपने एड्रेस पर ट्रैफिक बढ़ाने के लिए कुछ सर्विस प्रोवाइडर कंटेंट के कीवर्ड के तौर पर आम प्रचलन के शब्द जैसे वर्ल्ड कप के समय वर्ल्ड कप, इलेक्शन, फिल्म-खेल सितारों सहित प्रचलन में चल रहे नामों का उल्लेख कर देते हैं, ऐसा करने से एक बार तो यूजर शायद आपके एड्रेस पर आ भी जाए लेकिन कंटेंट और कीवर्ड से तालमेल न होने पर वो शायद ही भटककर इस एड्रेस पर दोबारा आता है. इसका एक नुकसान और भी है कि इंटरनेट पर झूठ बोलने पर आपकी भद्द भी पिट सकती है क्योंकि प्रतिक्रिया स्वरूप यूजर न केवल आपके बारे में अपनी खुली राय रख सकता है, बल्कि आप चैट वार का भी शिकार हो सकते हैं. 

तो ब्लॉगिंग करते वक्त ज्यादा से ज्यादा अपने कंटेंट के बारे में ही विस्तार से कम शब्दों में आकर्षक जानकारी देना चाहिए. साथ ही आर्टिकल में इस बात का ख्याल रखना चाहिए कि उसमें आम प्रचलन के शब्दों के साथ ही खोजे जाने वाले संभावित शब्दों का प्रयोग किया जाए. जैसे यदि क्रिकेट प्रशिक्षण केंद्र की बात करें तो इसके लिए लिखे जाने वाले ब्लॉग में क्रिकेट, ग्रीष्मकालीन प्रशिक्षण, नामी ट्रेनर्स के नाम, जीते गए टूर्नामेंट का उल्लेख यूजर्स का ट्रेफिक चाहे गए एड्रेस पर बढ़ा सकता है. सही टाइटल मेटा डिस्क्रिप्शन, कंटेंट, कीवर्ड से सर्च एंजिंन को ये जानने में आसानी होती है कि जानकारी किस विषय पर आधारित है, जिससे वो जानकारी को अपनी खोज में ऑटोमेटेड वरीयता प्रदान करता है. ख्याल रखें टाइटल में 65 से अधिक शब्द न हों, यूआरएल भी सिंपल और छोटा रखना कारगर होगा. इंटरलिंक के जरिए पुरानी पोस्ट को भी जोड़ा जा सकता है. इमेज में ALT TAG भी काफी मददगार हो सकता है. 

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